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Nostalgic summer of my childhood : बाळकपण की गर्मी के मजे

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Nostalgia : अतीत की ललक Nostalgia आमतौर पर हमारे पिछले स्वयं के लिए एक तड़प है, न कि केवल एक समय और स्थान के लिए।   हम अपने आप के पुराने संस्करण से मिलना चाहतें हैं जीना चाहतें हैं ,इस पर विचार किए बिना कि यह अच्छा था या बुरा ,  वो हमारी प्यारी यादें हैं   हम उन सकारात्मक भावनाओं को महसूस करने के लिए तरसते हैं जिन्हें हमने महसूस किया था, अपने आप के संस्करण से जुड़ने के लिए जो हम उस समय थे जिसे हम याद कर रहे थे।  शायद हम अधिक लापरवाह महसूस करते थे, शायद हमें खुशी या उपलब्धि की भावना महसूस होती थ।  एक सुहानी शाम को बैठ कर मुझे याद आ जाती है गर्मी जिसमे पसीनों से तर बतर थी पर लापरवाही और मौज थी  उस गर्मी के बारे में मैं खुद को याद दिलाती हूं यही वो अतीत की याद है जिसे फिर से जीना चाहती हूँ।  बाळकपण की गर्मी के मजे गाळा मैं सपड़-सपड़ , भैस्यां की राम्भा की , चिड़िया की चीं चीं , डाळी प आम्बा की, मिल क न यैं सारे शोर, एक सूंदर गीत बणाया करदे , बाळकपण की गर्मी म भी मजे कसूते आया करदे। ऊंघया जांदे पड़े खाट म , माँ के रुक्के की बाट म। अक आकै नै माँ ...

हरियाणवियों के और हरयाणवी होने का सफर कहाँ लेके जाना है ?

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आजकल भारत में भारतीय होने का चलन चल रहा है, और भारत विविधताओं का देश है, तो ये कहना भी गलत नहीं होगा की विविधताओं का और अधिक विविध होने का चलन चल रहा है।  तो फिर हरियाणा कैसे पीछे रह सकता है, हरयाणवी भी और हरयाणवी होने की कोशिश कर रहे हैं।  कुछ समय पहले तक हरयाणवी आदमी घर से भर निकलते ही सबसे पहले अपनी भाषा और अपने हरयाणवी लहजे को छोड़ दिया करता था ,हरयाणवी बोली और लहजे को गवाँर भाषा का दर्जा था , जब कोई खुद ही अपनी माँ बोली की कदर नहीं करेगा तो कोई और क्यों करेगा।  हरियाणवी को कई स्तरों पर पहचान मिल रही है , कम से कम लोग हरियाणा  और हरियाणवी को पहचानने लगें।  यह दूसरी बात है कि लोगों के मन में उनके बारे में कुछ रूढ़ धारणाएं हैं , पर हैं तो हैं अभी तो हरियाणा में ही हरयाणवी को सम्मान मिल जाये, स्वीकृति मिल जाये पहले।  यह निर्णायक समय है जब यह तय होगा कि हरियाणवी को प्रसिद्धि मिलेगी या बदनामी.... एक YouTube Channel है "ThE  AssTag" उसमे एक विडिओ भोजपुरी इंडस्ट्री से रिलेटेड एक विडिओ जिसमे २३:४२ मिनट पे एक जादू हुआ है और वो ऐसा जादू है जो आपको रुला देगा भ...

"नानी की बैठक अर बाट"

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हरयाणा में गर्मी की छुट्टियों का मतलब होता था एक महीने नानी के घर रह कर आना।  मेरे लिए तो यही था और मेरे जैसे बहुत सारे बच्चों क लिए भी यही था।  फोन का इतना चलन नहीं था की सब अपडेट मिलती रहती,तो जून शुरू होते ही मेरी नानी का इन्तजार भी शुरू हो जाता था की  द्योता द्योति ( बेटी के बच्चे )आने वाले है।  बाट : इन्तजार को ही पुरानी हिंदी में और हरयाणवी में बाट कहा जाता है।  ये कृति उनकी उसी बाट को समर्पित है।   "नानी की बैठक अर बाट"  मैं गर्मी की छुट्टियां मै मामा के घरां जाया करदी, मेरी नानी म्हारी करड़ी बाट देखदी पाया करदी। ओढा करदी सूती चुंदड़ी, सलवार और कुड़ता गोज्यां आला, चाम की जुत्ति, कान मैं बूजनी, अर गले में पत्री गेल्या धागा काला।  सर क ऊपर बालां का वा एक चूण्डा सा बणाया करदी, गर्मी की छुट्टियां मै नानी, म्हारी बाट देखदी पाया करदी।  रोटी, चटणी लाल मिर्च की,  खा कै खेत कमाए थे, क्यूकर उसने छोरी ब्याही, अर क्यूकर छोरे पढाये थे।  अपनी कहाणी हमने, मेरी नानी कई-ए-बार सुणाया करदी, गर्मी की छुट्टियां मै नानी, म्हारी बाट देखदी पाया कर...

हरियाणा के होने की खोई हुई कहानी : महाभारत काल का हरियाणा

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 जब हम किसी चीज पे गर्व महसूस करने की कोशिश करते हैं, तब हम प्रामाणिकता और विश्वसनीयता के लिए इतिहास में तथ्यों को खोजने की कोशिश करने लगते हैं, और ये हम करते हैं आत्म संतुष्टि और आत्म प्रमाणीकरण के लिए।  हरियाणा के इतिहास पे गर्व करने के लिए हरयाणवियों के पास बहुत कुछ है बस बात ये है उन्हें यह जानने की जरूरत है। तथ्यों को जानने की अपनी यात्रा में मुझे महाभारत से हरियाणा के कुछ भूले हुए या यूँ कहिये की खोये हुए संदर्भ मिले जिनका यहां उल्लेख होना चाहिए।  महाकाव्य महाभारत का महायुद्ध जो इस महाकथा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण खंड : कुरुक्षेत्र का युद्ध हरियाणा की भूमि को वह भूमि होने का सम्मान मिला जहां योगेश्वर श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। और यहीं पर वो ऐतिहासिक युद्ध हुआ जिसकी कथाएं आज भी भारत के घर घर में बालकों को सुनाए जाती हैं, जहां पे धर्म को स्थापित करने के लिए 18 अक्षोहिणी दल का नाश हो गया था।  हरियाणा की लोक कथाओं एवं लोक गायन रागिणी इत्यादि में आज भी महाभारत के उल्लेख मिलते हैं।  पाणिनी से संदर्भ :  पाणिनी प्राचीन भारत में एक श...

हरियाणा के होने की खोई हुई कहानी : वैदिक काल का हरयाणा

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 अगर आप हरियाणा में हैं और आप एक ताई (हरियाणा में महिलाओं को बुलाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द like Aunty) पूछेंगे कि हरियाणा का अर्थ क्या है, तो आपको बिना किसी देरी के जवाब मिलेगा " याड़े हरी का  आणा होया। " मतलब है कि भगवान यहां आए थे और इसीलिए इसे हरियाणा कहा जाता है। (हरि (अर्थ भगवान) और आना (अर्थ आओ)। हरियाणा नाम से के कहानियां जुडी हुए हैं जो तब से हैं जब से मानव रचित इतिहास के साक्ष्य मिलते है, जिनमे से एक हैं वेद।  ऋग्वेद (जो वेदों में सबसे पुराना वेद मन जाता है)को कुछ अर्थों में मानव जाति का एक पुराना इतिहास माना जा सकता है। यह प्राचीन लोगों की मान्यताओं, प्रथाओं, संस्कृति और विश्वदृष्टि को दर्शाता है जिन्होंने इसकी रचना की थी। हालांकि कुछ विद्वानों के अनुसार, ऋग्वेद सटीकता और कालक्रम के संदर्भ में ऐतिहासिक जानकारी का एक विश्वसनीय स्रोत नहीं है, लेकिन वेद जानकारी के सबसे पुराने स्रोतों में से कुछ हैं और  ऋग्वेद चारों वेदो में सबसे पुराना है। हरियाणा नामक भूमि का अस्तित्व और इसका नाम कम से कम उतना ही पुराना है जितना कि ऋग्वेद है। #1 हरियाणा के उल...

The lost story of Haryana's existence : Haryana of Vedik era.

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     If you are in Haryana and you will ask a TAE(word used in Haryana for calling a women, just like calling some aunt) that what is the meaning of Haryan you will get a answer without any delay "YHAN HARI KA AANA HUA" means that god came here thats whay this is called Haryana. (Hari (meaning God) and Aana (meaning come.) The Rig Veda can be considered as an old history of humankind in some sense. It reflects the beliefs, practices, culture, and worldview of the ancient people who composed it. However according to some scholars, the Rig Veda is not a reliable source of historical information in terms of accuracy and chronology, but Veda's are few of the oldest source of information, and existence of the land called Haryana and its Name is at least as old as Rig Veda is. #1 The mention of Haryana can be confirmed from Rigveda in Hymn 7.18 this Hymn is describing a battle held between Aryans and the Dasyus, these dasyus were 10 kings from different tribes and were the enem...

एक कहाणी मन्ने मेरी दादी सुणाया करदी..

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कभी कभी मैं अपनी दादी क साथ बैठ कर बातें करती हूँ| उनकी बातों में बहुत सी ऐसी कहानियां छुपी होती हैं जो हमें पता होना चाहिए। मेरी दादी भी मुझे ढेर सारी कहानिया सुनाती है  ये उनको ही समर्पित मेरी एक कृति है।  एक कहाणी मन्ने मेरी दादी सुणाया करदी.. कहाणी सुणा सुणा मन्ने न्यू समझाया करदी.. न्यू क्ह्या करदी बेटी मेरी अपणे धर्म पे रहिये ऐ.. के मूर्ख माणस गेल्या भिड़ना अर के मूर्ख त कहिये ऐ.. बेटी ऐ अपणे बड़ा की इन बाता न याद राख्या करें.. ये बात मान की होया करे इन न पल्ले बांध्या करें.. जमाने बेशक बदल ज्यां पर बात सदा य ऐ रवेंगी.. अर अपणी दादी पे सुणी य ऐ बात मैं भी आगे कहूंगी.. सुणाया करे दादी मेरी, कहाणी अपने दादशरे की.. ठाठ की बतआवै बात उनके बड्डे घर की.. क्युकर घर फूक क न चौधर उसने बणाई थी.. उनकी कहाणी काल दादी ने अपणी पाँचमी पीढ़ी त सुणाई थी.. साझी मिहनती भी उनके सुथरी रोटी खाया करदे.. नहर बणी जब गाम में घी शक्कर के चोळ (चावल) जाया करदे.. रामजी लाल दादा म्हारा, गाम म रबजाया बणवा गया था.. अर न्यू गाम गुहांडा म वो खानदान की इज्जत चमका गया था..।।